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अल इंडिया मधेसी विद्यार्थी संघ (एमसा), इंडिया
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Tuesday, September 11, 2007

जरूरत आज का

प्रिये दोस्तो ,
मुझे आज भी याद हैं , जब हम ने VisitNepal ९८ मनाया था। उस समय लगभग १४५ देशों ने नेपाल को शांति क्षेत्र मान लिया था, लेकिन आज हमारे देश को दुनिया मे सब से ज्यादा खतरनाक देशों मे से १ माना जाता हैं। निश्चय ही हम ने ऐसी स्थिति कि कामना नही करा था । अगर आज हम आत्ममंथन करे तो हम इस नतीजे पर पहुचेंगे कि इन सब का जिम्मेबर कोई और नही हमारे ही आदर्निये नेता सब हैं, जो आज अपने को प्रजातान्त्रबादी कहते हैं और देश को एक नयी दिशा देने का दम भरते हैं। इन सारे नेतायों ने ना सिर्फ हमारे बिश्वास को दोखा दिया हैं बल्कि आने बाले पीढियों के भबिश्य को अँधेरे मे दखेल दिया हैं। नेतायों कि काली करतूतों कि वजह से माओबादी जैसे आतंकबादियों को भी मदत मिली और उन्होने ने भी सीधे साढ़े नेपालियों को जम के लुटा हैं। आज भी इन दोनो बर्ग का एक ही लक्ष्य हैं जनता को बर्ग्लाते हुये अपनी स्वार्थ कि रोटी सेकना । आज अगर जरूरत हैं तो वोह हैं जादा से जादा लोगों को आत्म निर्भर बनाना, शिक्षा को बढाबा देना, और सब से अहम बात हैं अपने वतन के प्रति निस्वार्थ प्रेम को जगाना, अभी के प्रतिकूल समय मे हमारी आपसी सामंजस्य और सद्भाग सब से महत्वपूर्ण हैं। जरूरत आन् पडी हैं कि आज के युवा पीढी देश के बागडोर को संभाले और देश को आधुनिकता से रूबरू कराते हुये २१ वी शदी के प्रतिस्पर्धा के लिए तयार करे।